एक बूढ़े आदमी को बैंक के कर्मचारी ने धोखाधड़ी से एक स्वास्थ्य बीमा नीति बेच दी। उस आदमी का नाम रामचंद्र था। वह एक पेंशनर था और अपनी धरोहर में एक साधारण जीवन बिताता था। उसकी जिंदगी की धारा को अच्छे से चलाते हुए, वह अपनी पेंशन के साथ ही अपनी चिंताओं को भी व्यवस्थित करता रहता था।
एक दिन, रामचंद्र बैंक में गए ताकि अपनी कुछ निवेश से संबंधित सलाह प्राप्त करें। वहाँ, एक बैंक के कर्मचारी ने उसे एक स्वास्थ्य बीमा नीति के बारे में बताया। वह बताया कि यह नीति उसकी सभी चिंताओं को ध्यान में रखती है और उसे आवश्यक चिकित्सा सुविधाओं की सुरक्षा प्रदान करेगी। बिना किसी विचार के, रामचंद्र ने बीमा पॉलिसी खरीद ली, विश्वास करते हुए कि यह उसकी सुरक्षा और सुविधा का सबसे अच्छा तरीका होगा।
कुछ महीनों बाद, रामचंद्र को अचानक बीमा की आवश्यकता पड़ी जब उसे अचानक एक बीमारी हो गई। उसने बैंक से संपर्क किया और अपनी दावi जमा करवाई। हालांकि, जब उसने दावI जमा की, तो उसका दावा ठुकरा दिया गया।
रामचंद्र को बैंक से एक पत्र मिला, जिसमें बताया गया कि उसकी बीमा दावIअस्वीकृत कर दी गई है क्योंकि उसने अपनी पूर्ण स्वास्थ्य स्थिति और पिछली बीमा नीतियों के बारे में सभी जानकारी नहीं दी थी। रामचंद्र का मनोबल गिर गया। उसने बैंक में जाकर इस मुद्दे को उठाया, लेकिन बैंक के कर्मचारी ने उसे किसी भी प्रकार की सहायता नहीं दी।
रामचंद्र को निराशा का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर उसने निर्णय लिया कि वह हार नहीं मानेगा। उसने एक वकील की सलाह ली और न्यायालय में अपनी मुद्दा दायर की। न्यायालय ने उसके गुणहान को ध्यान में रखते हुए, उसके पक्ष में फैसला किया और उसे बीमा का मुआवजा देने के आदेश दिए।
इस घटना ने रामचंद्र को एक महत्वपूर्ण सिखाई दी कि वह हमेशा अपने निवेशों और बीमा की नीतियों को ध्यानपूर्वक समझे और सतर्क रहे। बैंक के कर्मचारी की धोखाधड़ी ने उसे बहुत नुकसान पहुंचाया लेकिन उसने निर्धारित किया कि वह इस से नहीं हारेगा। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अपने निवेशों और बीमा की नीतियों के साथ बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और हमें अपने हक की रक्षा करनी चाहिए।